जब से उस को नज़र में रक्खा है होश को हम ने घर में रक्खा है आँख हैरान है कि हम ने भी क्या नज़ारा नज़र में रक्खा है हौसलों से उड़ान भर प्यारे क्या भला बाल-ओ-पर में रक्खा है बाहरी रंग-ओ-नूर ख़ूब सही पर ख़ज़ाना तो घर में रक्खा है है फ़क़त आदतों का इक दफ़्तर वर्ना क्या ख़ाक घर में रक्खा है पाँव किस रहगुज़र में रखना था पाँव किस रहगुज़र में रक्खा है हाँ ये तेरा ही नाम है हाँ हाँ जो मिरी चश्म-ए-तर में रक्खा है है फ़क़त गर्म झूट का बाज़ार क्या भला अब ख़बर में रक्खा है जो उतारा न जा सके हम से हम ने वो सौदा सर में रखा है आख़िरत अन-क़रीब है 'क़ादिर' क्या क्या ज़ाद-ए-सफ़र में रक्खा है