ज़बाँ पर आप का नाम आ रहा था ग़म-ए-हस्ती को आराम आ रहा था ख़ुदा का शुक्र तेरी ज़ुल्फ़ बिखरी बड़ी गर्मी का हंगाम आ रहा था सितारे सो गए अंगड़ाई ले कर कि अफ़्साने का अंजाम आ रहा था तड़प कर मैं ने तौबा तोड़ डाली तिरी रहमत पे इल्ज़ाम आ रहा था 'अदम' दिल खो के आसूदा नहीं हम बुरा था या भला काम आ रहा था