ज़ब्त-ए-ग़म है मिरी पोशाक मिरी इज़्ज़त रख आतिश-ए-दीदा-ए-नमनाक मिरी इज़्ज़त रख खुल न जाए ये मिरी अक्स-फ़रेबी किसी दिन आइना-ख़ाना-ए-इदराक मिरी इज़्ज़त रख मेरी मिट्टी से चराग़-ए-दर-ओ-दीवार बना दर-ब-दर कर के मिरी ख़ाक मिरी इज़्ज़त रख परतव-ए-दाग़-ए-गुज़िश्ता रुख़-ए-फ़र्दा पे न डाल गर्दिश-ए-साअत-ए-सफ़्फ़ाक मिरी इज़्ज़त रख बड़ी मुश्किल से बनाई है ये इज़्ज़त मैं ने जज़्बा-ए-कार-ए-हवसनाक मिरी इज़्ज़त रख या समुंदर से मिरी ख़ाक जुदा कर 'शाहिद' या बना दे मुझे तैराक मिरी इज़्ज़त रख