जादू थी सेहर थी बला थी ज़ालिम ये तिरी निगाह क्या थी कीधर है कहाँ है ख़ुश-दिली तू हम से भी कभू तू आश्ना थी शीरीं भी तुझी सी थी सितमगर लैला भी अगरचे बेवफ़ा थी फ़रहाद पे इस क़दर न था ज़ुल्म मजनूँ पे न ये ग़ज़ब जफ़ा थी मारा है 'बयाँ' को जिन ने ऐ शोख़ क्या जानिए कौन सी अदा थी