जहाँ कुछ लोग दीवाने बने हैं बड़े दिलचस्प अफ़्साने बने हैं हक़ीक़त कुछ तो होती है यक़ीनन कहीं झूटे भी अफ़्साने बने हैं बहुत नाज़ाँ थे जो फ़र्ज़ानगी पर उन्हें देखा तो दीवाने बने हैं कि अंदाज़-ए-नज़र की आज़री से दिलों में कितने बुत-ख़ाने बने हैं जो शोअ'ला शम्अ' के दिल में है रौशन उसी शोले से परवाने बने हैं ये किस साक़ी का फ़ैज़ान-ए-नज़र है चमन में फूल पैमाने बने हैं क़यामत था मिरा महफ़िल से उठना न जाने कितने अफ़्साने बने हैं मिरी दीवानगी पर हँसने वाले ब-ज़ोम-ए-ख़्वेश फ़रज़ाने बने हैं जली हैं ज़ेहन में यादों की शमएँ तसव्वुर में सनम-ख़ाने बने हैं ब-नाम-ए-ग़म ब-उनवान-ए-मोहब्बत जुनूँ-अफ़रोज़ अफ़्साने बने हैं ज़माने से हो 'यज़्दानी' गिला क्या कि जो अपने थे बेगाने बने हैं