जहान-ए-ख़्वाब-ए-मेहरबाँ की ख़ैर हो मिरे ज़मीन-ओ-आसमाँ की ख़ैर हो हवा का रंग ढंग ही कुछ और है दुआ करो कि आशियाँ की ख़ैर हो वो चाहता है अपनी इक सलामती मैं चाहता हूँ कारवाँ की ख़ैर हो जहाँ है तीरगी वहाँ हो रौशनी जहाँ है रौशनी वहाँ की ख़ैर हो ये जज़्ब-ओ-कैफ़ यूँ ही मुस्तक़िल रहें दुआ है दिल के आस्ताँ की ख़ैर हो