ज़हर की चुटकी ही मिल जाए बराए दर्द-ए-दिल कुछ न कुछ तो चाहिए बाबा दवा-ए-दर्द-ए-दिल रात को आराम से हूँ मैं न दिन को चैन से हाए हाए वहशत-ए-दिल हाए हाए दर्द-ए-दिल दर्द-ए-दिल ने तो हमें बेहाल कर के रख दिया काश कोई और ग़म होता बजाए दर्द-ए-दिल उस ने हम से ख़ैरियत पूछी तो हम चुप हो गए कोई लफ़्ज़ों में भला कैसे बताए दर्द-ए-दिल दो बलाएँ आज कल अपनी शरीक-ए-हाल हैं इक बला-ए-दर्द-ए-दुनिया इक बला-ए-दर्द-ए-दिल ज़िंदगी में हर तरह के लोग मिलते हैं 'शुऊर' आश्ना-ए-दर्द-ए-दिल ना-आश्ना-ए-दर्द-ए-दिल