ज़हर पर ज़हर चल नहीं सकता साँप बिच्छू निगल नहीं सकता तजरबा लाख कीजिए इस पर फिर भी पत्थर पिघल नहीं सकता भूल बैठूँगा तुझ को जीते जी मैं तो इतना बदल नहीं सकता ग़ैर की टाँग खींच कर भाई कोई आगे निकल नहीं सकता उस की मर्ज़ी अगर नहीं होगी गिरने वाला सँभल नहीं सकता नोच सकता है वो हमारा पर अज़्म लेकिन कुचल नहीं सकता