ज़ाहिदो रौज़ा-ए-रिज़वाँ से कहो इश्क़ अल्लाह आशिक़ो कूचा-ए-जानाँ से कहो इश्क़ अल्लाह जिस की आँखों ने किया बज़्म-ए-दो-आलम को ख़राब कोई उस फ़ित्ना-ए-दौराँ से कहो इश्क़ अल्लाह यारो देखो जो कहीं उस गुल-ए-ख़ंदाँ का जमाल तो मिरे दीदा-ए-गिर्यां से कहो इश्क़ अल्लाह हैं जो वो कुश्ता-ए-शमशीर निगाह-ए-क़ातिल जा के उन गंज-ए-शहीदाँ से कहो इश्क़ अल्लाह आह के साथ मिरे सीने से निकले है धुआँ ऐ बुताँ मुझ दिल-ए-बिरयाँ से कहो इश्क़ अल्लाह याद में उस के रुख़ ओ ज़ुल्फ़ की हर आन 'नज़ीर' रोज़-ओ-शब सुम्बुल-ओ-रैहाँ से कहो इश्क़ अल्लाह