ज़िक्र-ए-हू चार सू करें कैसे हर्फ़-ए-हक़ रू-ब-रू करें कैसे आ गई सतह-ए-आब तक काई साफ़ ये आबजू करें कैसे आश्नाई रही न रुस्वाई ख़ूँ-चकाँ गुफ़्तुगू करें कैसे चश्म-ए-तर में लहू की बूँद नहीं जान-ए-मन हम वज़ू करें कैसे हाथ छलनी हैं पाँव ज़ख़्मी हैं जम्अ बिखरे सुबू करें कैसे जाँ-कनी ही रही न मय-नोशी 'मंज़र' अब हाव-हू करें कैसे