ज़िक्र-ए-तूफ़ाँ भी अबस है मुतमइन है दिल मिरा नाख़ुदा तुम हो तो फिर दरिया मिरा साहिल मिरा रहनुमा-ए-ज़िंदगी है इज़्तिराब-ए-दिल मिरा चल रहा है कारवाँ मंज़िल पस-ए-मंज़िल मिरा क़िस्सा-ए-मंसूर हो या दास्तान-ए-कोहकन जो फ़साना देखिए इक बाब है शामिल मिरा मिल रहा है ज़िंदगी को आज उनवाँ सही मुन्फ़इल क्यूँ हो नसीब-ए-दुश्मनाँ क़ातिल मिरा चंद ज़र्रे ख़ाक-ए-आदम से अज़ल में बच गए फ़ितरत-ए-मा'सूम ने इन से बनाया दिल मिरा आफ़ियत है मेरी फ़ितरत के मुनाफ़ी ऐ 'रशीद' वर्ना आया था सफ़ीना जानिब-साहिल मिरा