ज़िंदा रहने में हूँ शामिल और न मर जाने में हूँ सूरत-ए-तस्वीर में भी आइना-ख़ाने में हूँ या ब-शक्ल-ए-जिंस हूँ हिस्सा किसी बाज़ार का या किसी किरदार का मानिंद अफ़्साने का हूँ एक पल हूँ सिक्का-ए-राएज ब-तुज़्क-ओ-एहतिशाम दूसरे पल कौड़ियों के मोल बिक जाने को हूँ है ख़सारा ही ख़सारा सारी हस्ती सब वजूद मैं भी शामिल हूँ उसी में और हर्जाने में हूँ हूँ कभी मैं साग़र-ए-सैराबी-ए-कौन-ओ-मकाँ तिश्नगी बन कर कभी हस्ती के पैमाने में हूँ नामुरादाना ही सरगर्म-ए-अमल हूँ दहर में मैं न पाने के तक़ाज़े में न खो जाने में हूँ