ज़िंदगी छोड़ गई बे-सर-ओ-सामान मुझे उम्र-भर याद रहा आप का एहसान मुझे बे-हिकायत मिरे एहसास की तस्वीर मगर हर ज़माने का बनाए कोई उन्वान मुझे क़त्अ कर दे जो ज़माने से तअ'ल्लुक़ मेरा बख़्श दे इस ग़म-ए-हस्ती का तू इरफ़ान मुझे लोग देखेंगे तुझे शहर में चर्चा होगा ग़ौर से देख मिरी सम्त न पहचान मुझे दर्द की लहर उठी मैं ने सँभाला दिल को कर दिया है मिरी नज़रों ने पशेमान मुझे न कोई नक़्श-ए-क़दम है न कोई गर्द-ए-सफ़र दूर तक राह नज़र आई है सुनसान मुझे दिल ने फिर उन से न मिलने की क़सम खाई है देख लें वो न किसी वक़्त परेशान मुझे मैं ने जोड़ा ग़म-ए-जानाँ से तअ'ल्लुक़ 'अंजुम' जब दिखाई न दिया ऐश का इम्कान मुझे