ज़िंदगी दश्त में जब छोड़ के आती है हमें तेरी यादों की महक ढूँढ के लाती है हमें रख दे आँखों पे मेरी ग़फ़लतों वाला चश्मा इस से दुनिया बड़ी बेहतर नज़र आती है हमें एक ही ताल में हर नब्ज़ का चलते रहना तुम न समझोगे ये तरतीब डराती है हमें दर्द-ए-तन्हाई तड़प सोज़ ख़ला बेचैनी लफ़्ज़ क्या क्या ये मोहब्बत भी सिखाती है हमें जितनी मुश्किल से निभाते हैं मोहब्बत हम तुम उतनी मुश्किल से मोहब्बत भी निभाती है हमें