ज़िंदगी दौड़ती है सड़कों पर और फिर मौत भी है सड़कों पर दिन-दहाड़े पड़ा है इक ज़ख़्मी क्या अजब तीरगी है सड़कों पर लोग बस बे-दिली से चलते हैं या'नी बेचारगी है सड़कों पर उम्र घर में तो उस की कम गुज़री और ज़ियादा कटी है सड़कों पर मुफ़्लिसी कैसी कैसी शक्लों में तू भी अक्सर मिली है सड़कों पर चलते हम तुम भी हैं मगर 'फ़रहत' होड़ रफ़्तार की है सड़कों पर