ज़िंदगी जब तिरे आसार नज़र आएँगे हम तिरे शहर के उस पार नज़र आएँगे मेरी आँखों का किनारा जो तुम्हें काफ़ी हो मेरे बाज़ू तुम्हें पतवार नज़र आएँगे कहीं ख़ुद को नज़र आए भी तिरे बा'द तो हम साँस लेते हुए बे-कार नज़र आएँगे लोग ढूँडेंगे हमें ढूँडने वालों की तरह हम पस-ए-चश्म-ए-नम-ए-यार नज़र आएँगे आशिक़ी ऐसे क़बीले में रिआ'यत कैसी पानी भरते हुए सरदार नज़र आएँगे कोई मल्हार न सूझेगा तिरे बा'द हमें बाँझ धरती के ज़मीं-दार नज़र आएँगे दिल के पर्दे पे अगर एक नज़र डालें तो कुछ परेशान से किरदार नज़र आएँगे