ज़िंदगी जाँ-ब-लब तमाशाई By Ghazal << छिन गई तेरी तमन्ना भी तमन... बे-ज़ौक़-ए-नज़र बज़्म-ए-त... >> ज़िंदगी जाँ-ब-लब तमाशाई डस रहा है सुकूत-ए-तन्हाई चार-सू आँसुओं के जलते दीप शाम-ए-ग़ुर्बत मुझे कहाँ लाई दूर तक इक मुहीब सन्नाटा नौहा-ए-ग़म न कोई शहनाई कितने दार-ओ-रसन से गुज़रे हैं तेरे दर तक तिरे तमन्नाई Share on: