ज़िंदगी क्यूँ उदास है ऐ दोस्त मौत क्या आस-पास है ऐ दोस्त वो भी मस्लूब हो न जाए कहीं वो बड़ा हक़-शनास है ऐ दोस्त था जो 'ग़ालिब'-शिकन ज़माने में वो 'यगाना' ही 'यास' है ऐ दोस्त ये ज़माना भी क्या क़यामत है हर तरफ़ इक हिरास है ऐ दोस्त है जो हर दिल में इक ख़ुदी का सुरूर ज़िंदगी की असास है ऐ दोस्त दूर रह कर भी मुझ से दूर नहीं वो सदा दिल के पास है ऐ दोस्त हो ज़ियारत मुझे मदीने की रब से ये इल्तिमास है ऐ दोस्त