ज़िंदगी के बहुत मसाइल हैं हर क़दम पर पहाड़ हाइल हैं ऐ दिल-ए-बे-क़रार मुद्दत से हम तिरी वहशतों के क़ाइल हैं ऐसे तकते हैं आप की जानिब जैसे मौसम नहीं हैं साइल हैं फूल ख़ुश्बू हवा शजर बारिश एक तेरी तरफ़ ही माइल हैं फ़ासला तो बहुत ही कम है मगर दरमियाँ में कई मसाइल हैं उस के चेहरे के सामने 'फ़रहत' रंग और रौशनी भी ज़ाइल हैं सिर्फ़ सहराओं ही की बात नहीं बस्तियों में भी तेरे घायल हैं