ज़िंदगी की रौशनी के इस्तिआरे ख़्वाब हैं देखिए ताबीर क्या हो कितने प्यारे ख़्वाब हैं बुख़्ल है करते नहीं ख़्वाबों की ख़ुशियों में शरीक आओ हम देते हैं तुम को जो हमारे ख़्वाब हैं जिन की आँखें थी हक़ीक़त के तजस्सुस में मगन उन का दामाँ देखिए सारे के सारे ख़्वाब हैं जागते में सो रहा था उन के जज़्बों का शुऊर नींद उस की है मगर उस में हमारे ख़्वाब हैं बे-सुकूँ लम्हों में सोना है गिराँ एहसास का क़र्ज़ है ताबीर उन की जो उधारे ख़्वाब हैं सो गया था वक़्त के नेज़े पे सर रक्खे हुए मैं ने ये कैसी बुलंदी से उतारे ख़्वाब हैं हम हक़ीक़त में गुज़र जाएँगे ख़्वाबों की तरह रौशनी, ज़ुल्मत, मह-ओ-ख़ुर्शीद सारे ख़्वाब हैं