ज़िंदगी की यही कहानी है साँस आनी है और जानी है तुम जो होते तो बात कुछ होती अब कि बारिश तो सर्फ़ पानी है इक तरफ़ उस की बोलती आँखें इक तरफ़ मेरी बे-ज़बानी है यूँ ही सुनते रहें अगर दिल की याद रखिए कि जान जानी है धूप लगती है बादलो जैसी ये मोहब्बत की साएबानी है बहती जाती हूँ इक समुंदर में उस की यादो की बादबानी है हर तरफ़ ख़ार ख़ार है गुलशन बाग़बाँ ख़ूब बाग़बानी है आश्ना हूँ मैं अब सराबों से मैं ने सहरा की ख़ाक छानी है 'चाँदनी' की ग़ज़ल-वज़ल साहब उस के ख़्वाबों की तर्जुमानी है