ज़िंदगी में ऐसा कितनी बार होता है यहाँ मंज़िलों का रास्ता दुश्वार होता है यहाँ जो सफ़र के लुत्फ़ का अंदाज़ा कर सकता नहीं ख़ुश सफ़र में रहने से लाचार होता है यहाँ आँधियाँ पुर-ख़ार रस्ते संग रोकें किस तरह जिन को गुलशन की कली से प्यार होता है यहाँ अपनी क़िस्मत से हुआ शह मात का हर फ़ैसला डूबता बेड़ा कभी तो पार होता है यहाँ ख़्वाब चकना-चूर होते हैं बुलंदी पर कभी और जो देखा नहीं साकार होता है यहाँ दुश्मनों के वार से भी जान-लेवा है कभी अपनों का बेगाना-पन भी धार होता है यहाँ