ज़िंदगी में ज़ब्त पैदा कर दिया उस के ग़म ने देखिए क्या कर दिया अक़्ल-ओ-दिल ने गो छुपाया राज़ को आंसुओं ने फिर भी रुस्वा कर दिया उस की आहट थी या मेरा वहम था दिल में जिस ने हश्र बरपा कर दिया जब चली थी साथ में इक आस थी रास्ते ने मुझ को तन्हा कर दिया किस की नज़रें फिर मसीहा बन गईं किस ने मेरे दिल को ज़िंदा कर दिया एक मद्धम सी किरन ने यक-ब-यक ख़्वाब को मेरे सुनहरा कर दिया आस का मरहम दिया यूँ आप ने ज़ख़्म-ए-दिल कुछ और गहरा कर दिया रह गई थी आज़माइश क्या कोई जाँ ने क्यों जाने में वक़्फ़ा कर दिया दूर 'निकहत' गुल्सिताँ से हो गई इस हवा ने खेल कैसा कर दिया