ज़िंदगी नक़्स-ए-ज़िंदगी तो नहीं बंदगी में कोई कमी तो नहीं आप की दोस्ती से डरता हूँ आप से कोई दुश्मनी तो नहीं बे-उसूली उसूल हो जाए आप पर ऐसी बे-ख़ुदी तो नहीं आज ज़ुल्मत के चेहरे पर है नूर उन का ग़म बाइस-ए-खु़शी तो नहीं मैं गुनाहों में ग़र्क़ हूँ लेकिन उस की रहमत में कुछ कमी तो नहीं मेरे सीने में सैकड़ों बल हैं उन की ज़ुल्फ़ों में बरहमी तो नहीं आम है ज़िक्र-ए-ख़ास ऐ 'मैकश' अब कोई बात राज़ की तो नहीं