ज़िंदगी से हसीं उदासी है ये मिरी हम-नशीं उदासी है कब से पिंदार में मुक़य्यद है कैसी पर्दा-नशीं उदासी है लहज़ा लहज़ा उसे कशीद करो कि मय-ए-अँगबीं उदासी है जुरआ' जुरआ' पिला मुझे साक़ी मन हिरन सात्गीं उदासी है का'बा-ए-दिल में है जो महव-ए-तवाफ़ जहाँ ताब-ए-जबीं उदासी है पर्बतों वादियों में बस्ती है जंगलों की मकीं उदासी है वो तह-ए-आब जल-परी सी है मेरी सहरा-नशीं उदासी है देख कर ला रही है हस्ती में जान-ए-जाँ जा-गुज़ीं उदासी है सुन अदम से वजूद तक हर जा ख़ानुमाँ में मकीं उदासी है जादा-ओ-संग-मील-ओ-मस्कन में रहबरों का यक़ीं उदासी है दीप बीम-ओ-रजा का जाँ गुल हो देखना तुम वहीं उदासी है ज़र्ब इक ख़ोल की फ़सीलों में हाशियों के क़रीं उदासी है जौहर-ए-हस्त मिर्ज़ा-'ग़ालिब' थी आज ख़ाक-ए-बरीं उदासी है वाँ ख़ुशी की नुमू मुहाल सी है उस के दिल की ज़मीं उदासी है