जैसे-तैसे निकाल लेते हैं चंद लम्हे निकाल लेते हैं ख़ुद ही सेते हैं ज़ख़्म दिल के हम ख़ुद ही धागे निकाल लेते हैं अपने चेहरे से इक नया चेहरा लोग कैसे निकाल लेते हैं नाम ले के तुम्हारा दुख हम से अश्क सारे निकाल लेते हैं फिर समुंदर लगेगा नीला फ़लक गर सितारे निकाल लेते हैं तेरी यादों के बहर से अब हम शे'र अच्छे निकाल लेते हैं मुश्किलात-ए-जहान से 'तासीर' सच्चे जज़्बे निकाल लेते हैं