ज़ीस्त का हासिल बनाया दिल जो गोया कुछ न था ग़म ने दिल को दिल बनाया वर्ना क्या था कुछ न था वो तो मेरे सामने थे देखने की देर थी मैं ने आँखें बंद कर लीं वर्ना पर्दा कुछ न था या अलम-कोशी रही या ख़ुद-फ़रामोशी रही दिल किसी दिन दिल न था या दर्द था या कुछ न था कुछ समझ कर ख़ुद ही हम ने जान दे दी दिल के साथ उन की नज़रों का अभी ऐसा तक़ाज़ा कुछ न था आप का दीवाना था ये इद्दआ बातिल सही 'फ़ानी'-ए-दीवाना दीवाना भी था या कुछ न था