ज़ीस्त करना दर-ए-इदराक से बाहर है अभी ये सितारा मिरे अफ़्लाक से बाहर है अभी ढूँडते हैं उसी नश्शे को सभी बादा-गुसार एक नश्शा जो रग-ए-ताक से बाहर है अभी एक ही लम्हे में तस्ख़ीर करेगी उसे आँख पर वो लम्हा मिरे अफ़्लाक से बाहर है अभी कुछ मिरे चाक-ए-गरेबाँ को ख़बर हो शायद एक गर्दिश जो मिरे चाक से बाहर है अभी बस वही अश्क मिरा हासिल-ए-गिर्या है 'अक़ील' जो मिरे दीदा-ए-नमनाक से बाहर है अभी