जज़्ब होने भी न पाए थे हमारे आँसू याद फिर आ गए भूले से तुम्हारे आँसू बन ही जाते कभी हस्ती के सहारे आँसू हाए रुक ही न सके हम से हमारे आँसू मेरी आँखों में रहे वो तो खटकते ही रहे उन के दामन पे बने चांद-सितारे आँसू टूटती है दिल-ए-ग़म-गीं पे क़यामत क्या क्या आ के पलकों पे जो रुकते हैं हमारे आँसू ये न होते तो क़यामत था सहर तक जीना मेरे प्यारे मिरी रातों के सहारे आँसू अज़्मत-ए-इश्क़ है पाबंदी-ए-ज़ब्त-ए-फुर्क़त या'नी तौहीन-ए-मोहब्बत हैं हमारे आँसू एक आँसू न बहाऊँ ग़म-ए-दुनिया के लिए ग़म-ए-जानाँ के लिए हैं मिरे सारे आँसू वो भी क्या साअत-ए-रंगीं थी कि जब ऐ 'मैकश' उन के आँचल में हुए जज़्ब हमारे आँसू