जज़ीरे धुँद के पीछे छुपे थे By Ghazal << शगुफ़्तगी-ए-दिल-ए-वीराँ म... पहले जो हम चले तो फ़क़त य... >> जज़ीरे धुँद के पीछे छुपे थे समुंदर से जहाँ मौसम मिले थे किसी के बाज़ुओं को याद कर के यूँ अपने आप में सिमटे हुए थे मुसलसल एक हैरत का सफ़र है कहाँ पहुँचे कहाँ से हम चले थे Share on: