ज़ख़्म लिक्खूँ कि माजरा लिक्खूँ याद आया है वो तो क्या लिक्खूँ हौसला ज़िंदगी का क्या लिक्खूँ भूल जाने का मरहला लिक्खूँ शिद्दत-ए-इश्क़ का तक़ाज़ा है क़ुर्बतों को भी फ़ासला लिक्खूँ उस की हमराही को बयान करूँ या किसी ख़ाक से हवा लिक्खूँ दिल की ख़्वाहिश है उस के चेहरे पर अपनी तन्हाई की दुआ लिक्खूँ इक दिए की मुज़ाहिमत देखूँ या हवाओं का फ़ैसला लिक्खूँ ख़्वाहिशों के हुजूम को 'आदिल' उस के रस्ते का क़ाफ़िला लिक्खूँ