जलती बुझती सी रहगुज़र जैसे By Ghazal << आसमाँ का सितारा न महताब ह... एक ही राह को उम्र भर देखन... >> जलती बुझती सी रहगुज़र जैसे ज़िंदगी दूर का सफ़र जैसे इस क़दर पुर-ख़ुलूस लहजा है उस से मिलना है उम्र भर जैसे इस मोहल्ले में इक जवाँ लड़की बीच अख़बार में ख़बर जैसे एक मानूस सी सदा गूँजी दूर यादों का इक नगर जैसे Share on: