ज़माने की तरह हमदम न होना ख़ताओं पर मेरी बरहम न होना मसाइल दूरियाँ हरगिज़ नहीं थीं मसाइल दूरियों का कम न होना यही तो रात होने का सबब है ज़मीं का शम्स का बाहम न होना चले आओ मोहब्बत का है मौसम दोबारा ये हसीं मौसम न होना अजब बस्ती तुम्हारे दिल की बस्ती किसी ग़म का जहाँ मातम न होना मिरे दिल की यही तकलीफ़ ठहरी बिछड़ते वक़्त आँखें नम न होना इशारा है ये शाम-ए-ज़िंदगी का मिरे दिल में तुम्हारा ग़म न होना