ज़माने में ग़म-ए-उल्फ़त के दीवाने बहुत से हैं

ज़माने में ग़म-ए-उल्फ़त के दीवाने बहुत से हैं
शराब-ए-ऐश-ओ-इशरत के भी मस्ताने बहुत से हैं

हमारे ग़म से ना-वाक़िफ़ कई अहबाब हैं अब तक
है ये हैरत कि ख़ुद अपनों में बेगाने बहुत से हैं

मिरी दीवानगी ने मुझ को पहुँचाया वहाँ आख़िर
जहाँ दीवाने कम हैं और फ़रज़ाने बहुत से हैं

मोहब्बत का भी क्या इक़बाल है वहशत की दुनिया में
है आबादी बहुत कम और वीराने बहुत से हैं

ज़रा बढ़ कर तो देख आख़िर ये दस्तक दर पे दी किस ने
दिल-ए-मजबूर तेरे जाने पहचाने बहुत से हैं

है ख़ुद-बीनी की हसरत तो चले आओ मिरे दिल में
ये वो गोशा है जिस में आइना-ख़ाने बहुत से हैं

पिए जाता हूँ साक़ी तेरी कैफ़-आवर निगाहों से
अगरचे मय-कदे में तेरे पैमाने बहुत से हैं

हज़ारों लाखों नज़रानों का नज़राना है सिर्फ़ इक दिल
तुझे देने के क़ाबिल यूँ तो नज़राने बहुत से हैं

तिरे कूचा में जीना है तिरे कूचा में मरना है
उड़ानी ही अगर हो ख़ाक वीराने बहुत से हैं

चराग़-ए-मा'रिफ़त को अब न करना चाहिए रौशन
बहुत कम ख़ास हैं और आम परवाने बहुत से हैं

हरम जाने से पहले है बुतों का तोड़ना लाज़िम
तुम्हारे दिल में भी 'अकमल' सनम-ख़ाने बहुत से हैं


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