ज़मीन देगा मगर आसमान माँगेगा मिरे वजूद से वो साएबान माँगेगा मैं चंद पल जो उसे थोड़ा आसरा दे दूँ फिर उम्र-भर के लिए कुल जहान माँगेगा वो जानता है निशाना अचूक है मेरा वो मुझ से टूटी हुई भी कमान माँगेगा हर एक गाम पे तू ने किया है क़त्ल मिरा तू कितनी दफ़अ' मिरी और जान माँगेगा तिरी ज़बान में तुझ को जवाब दूँ मैं अगर हिसाब मुझ से मिरा ख़ानदान माँगेगा मैं जानती हूँ सर-ए-बज़्म आएगा वो और मिरा जवाब उसी दरमियान माँगेगा अगर वो जान भी माँगे ख़ुशी ख़ुशी दे दूँ मगर वो कुछ भी कहाँ बे-ज़बान माँगेगा