ज़मीन मैली है ये आसमान मैला है दिलों के खोट से सारा जहान मैला है मुशावरत से तिरी बाम-ओ-दर सँवरते थे जो तू नहीं है तो सारा मकान मैला है दिल-ओ-निगाह की पाकीज़गी के सोतों पे जमी है गर्द सो सारा ये ज्ञान मैला है तिरे ख़याल की धरती पे पाँव रखते ही फिसल के टूटने वाला ध्यान मैला है वो मसनदों पे मुक़द्दस लगे बहुत लेकिन क़रीब जाऊँ तो मेरे समान मैला है