ज़मीन मेरी रहेगी न आइना मेरा कि आज़माने चला है मुझे ख़ुदा मेरा मिरे तिलिस्म से आज़ाद भी नहीं लेकिन वो फूल पहली नज़र में हुआ न था मेरा नईम बसरा-ओ-बग़दाद हारने के बा'द मिरा वजूद भी शायद नहीं रहा मेरा वो मेरे पास रहे या कहीं चला जाए रहेगा उस के ख़यालों से सिलसिला मेरा किसी की खोज में निकला था बे-इरादा मैं बदन निढाल था सर घूमता हुआ मेरा नहीं है अब मुझे अंजाम की कोई पर्वा बढ़ा दिया है मोहब्बत ने हौसला मेरा हुआ है क़त्अ मसाफ़त का सिलसिला जारी मैं रुक गया तो बदन टूटने लगा मेरा यक़ीं नहीं है मगर नक़्श है मिरे दिल पर कि इक परी ने बनाया है ज़ाइचा मेरा वो बार बार पलटता है दूर जा-जा कर सो टूट टूट के जुड़ता है राब्ता मेरा नज़र की हद पे जो इक नज्म-ए-ख़्वाब है 'साजिद' वही चराग़ है उस का वही दिया मेरा