ज़मीं पे रह के कहाँ फ़िक्र-ए-आसमाँ रखना तुम अपने दोस्त जो रखना तो हम-ज़बाँ रखना मोहब्बतों को नए हौसले अता करना अदावतों को तह-ए-तेग़ हमरहाँ रखना बिखर न जाए मिरी ज़िंदगी का शीराज़ा मिरे ख़ुदा मिरी हिम्मत को तू जवाँ रखना ये मश्ग़ला भी अजब है हमारे बेटे का हर एक चीज़ उठाना यहाँ वहाँ रखना बनाना रेत के घर तुम को याद तो होगा फिर इन घरों में मोहब्बत की सीपियाँ रखना