जानाँ दिल का शहर नगर अफ़्सोस का है तेरा मेरा सारा सफ़र अफ़्सोस का है किस चाहत से ज़हर-ए-तमन्ना माँगा था और अब हाथों में साग़र अफ़्सोस का है इक दहलीज़ पे जा कर दिल-ख़ुश होता था अब तो शहर में हर इक दर अफ़्सोस का है हम ने इश्क़ गुनाह से बरतर जाना था और दिल पर पहला पत्थर अफ़्सोस का है क़ुर्बत के उस पेड़ की शाख़ों पर देखो फूल उदासी का है समर अफ़्सोस का है हार के दुख से पछतावा बढ़ कर है 'फ़राज़' दुख का नहीं अफ़्सोस मगर अफ़्सोस का है