जाने कब तक क़तार में रहेंगे हम तिरे इंतिज़ार में रहेंगे तुम इसी बाग़ में रहोगे सदा हम इसी ख़ारज़ार में रहेंगे हम बिछड़ने के बा'द भी शायद आप के इख़्तियार में रहेंगे कितने मंज़र दिखाई देंगे हमें और कितने ग़ुबार में रहेंगे हाल तफ़्सील से बताते हुए कोशिश-ए-इख़्तिसार में रहेंगे शे'र सत्तर हज़ार कह डाले एक दो तो शुमार में रहेंगे इक तनाज़ा खड़ा करेंगे नया और फिर इश्तिहार में रहेंगे