ज़रा सा झाँक लो इन बे-क़रार आँखों में दिखाई देगा तुम्हारा दयार आँखों में गराँ हुए मिरे दिलबर फ़िराक़ के लम्हे उभर के दिल से चला आया प्यार आँखों में ज़हे-नसीब रुख़-ए-नाज़ गर नज़र आए बसा के रख लूँ मैं जान-ए-बहार आँखों में कहाँ क़याम है जान-ए-जिगर बता दे ज़रा यही सवाल उठा बार बार आँखों में तुम्हारी याद में मशग़ूल हो गईं जब से ख़िज़ाँ की फ़स्ल में आई बहार आँखों में ज़मीन-ए-अश्क पे छाई है इस क़दर ख़ुश्की जगह जगह पे पड़ी है दरार आँखों में न हों वो ख़ीरा तजल्ली को देख कर तेरी वो ताब-ए-दीद दे परवरदिगार आँखों में रुकी रुकी सी हैं नज़रें तुम्हारी राहों पर थमा थमा सा है दिल का क़रार आँखों में दिखा दो चेहरा कि दम तोड़ती हैं अब साँसें उमीद हो न कहीं तार तार आँखों में तुम्हारे हिज्र में नर्गिस भी ख़ून रोती है लिए है अश्क मुसलसल बहार आँखों में जो मौत हसरत-ए-दीदार में मुझे आई तुम्हारी याद का होगा मज़ार आँखों में 'फ़लक' गवाह है रो रो के पड़ गए हल्क़े बसा हुआ है तिरा इंतिज़ार आँखों में