ज़रा सा वक़्त लगता है कोई रिश्ता बनाने में कलेजा सूख जाता है मगर इस को निभाने में किसी की याद जीवन भर किसी के साथ रहती है किसी को पल नहीं लगता किसी को भूल जाने में मोहब्बत और तकल्लुफ़ में है इतना फ़र्क़ कि जितना किसी बुत की परस्तिश में और उस से घर सजाने में बहुत हैरान हूँ मैं देख कर बारिश का ये आलम अभी तो वक़्त बाक़ी है यहाँ सावन के आने में कि मज़हब ज़ात और क्या क्या हैं पैमाने मोहब्बत के ये सब कुछ जान कर करना मोहब्बत इस ज़माने में ये दिल इतनी दफ़ा टूटा कि अब कुछ भी नहीं बाक़ी वगर्ना 'सोलोमन' जाता है क्या दिल आज़माने में