जारी तो हो सब के लिए फ़रमान-ए-मोहब्बत कर दीजिए दिल से ज़रा ऐलान-ए-मोहब्बत इस शख़्स को दुख-दर्द सताता भी नहीं है जिस दिल में रहा करता है ईमान-ए-मोहब्बत आँखों से बदन से तिरी ज़ुल्फ़ों की महक से करता हूँ मैं दिन-रात ही ऐ जान-ए-मोहब्बत क्या कीजिए मेरा न हुआ जिस के लिए मैं करता रहा हर मोड़ पे सामान-ए-मोहब्बत कुछ भी नहीं बेहतर है ज़माने में कहीं पर दुनिया में नहीं कुछ भी है शायान-ए-मोहब्बत मुश्किल हैं बहुत रास्ते नफ़रत के ऐ भाई हम सब के लिए सब से है आसान मोहब्बत उन के लिए दुनिया भी वसीअ' होती है 'फ़य्याज़' होता है वसीअ' जिन का भी दामान-ए-मोहब्बत