ज़ुल्फ़ का क्या उस की चटका लग गया ज़ोर-ए-दिल के हाथ लटका लग गया तार-ए-मिज़्गाँ पर चला जाता है अश्क काम पर लड़का ये नट का लग गया चश्म-ओ-अबरू पर नहीं मौक़ूफ़ कुछ जान-ए-मन दिल जिस का अटका लग गया जाम-ए-गुल में क्यूँ न दे शबनम गुलाब सुब्ह-दम ग़ुंचे को चटका लग गया मंज़िल-ए-गुम-कर्दा इक मैं हूँ 'नसीर' राह से जो कोई भटका लग गया