ज़ुल्मत ही पहले थी जो हवाले में रह गई तस्वीर-ए-काएनात उजाले में रह गई आँखों की ही शराब थी तौबा-शिकन ज़रूर कुछ और भी मय की तरह प्याले में रह गई करती है मौत जैसे तआ'क़ुब हयात का तितली गिरी फ़ज़ा से तो जाले में रह गई बद-मज़्गी-ए-सुलूक का गहरा असर हुआ इक कंकरी सी मेरे निवाले में रह गई