ज़ुल्मत-ए-शब ही सहर हो जाएगी शिद्दत-ए-ग़म चारागर हो जाएगी रोने वाले यूँ मुसीबत पर न रो ज़िंदगी इक दर्द-ए-सर हो जाएगी बाद-ए-तामीर-ए-मकाँ ज़ंजीर-ए-ग़म उल्फ़त-ए-दीवार-ओ-दर हो जाएगी ला दलील-ए-इश्क़-ओ-मस्ती दरमियाँ ख़त्म बहस-ए-ख़ैर-ओ-शर हो जाएगी ज़िक्र अपना जा-ब-जा अच्छा नहीं सब कहानी बे-असर हो जाएगी सुब्ह-ए-राहत के तसव्वुर के तुफ़ैल हर शब-ए-ग़म मुख़्तसर हो जाएगी सिर्फ़-ओ-अज़्म-ए-आतशीं दरकार है उम्र सरगर्म-ए-सफ़र हो जाएगी आ रहा है इंक़िलाब-ए-हश्र-ख़ेज़ ज़िंदगी ज़ेर-ओ-ज़बर हो जाएगी