ज़ुल्मतों में रौशनी की जुस्तुजू करते रहो ज़िंदगी भर ज़िंदगी की जुस्तुजू करते रहो जिस पे हो साक़ी ब-ज़ोम-ए-होश-मंदी भी फ़िदा उस मुकम्मल बे-ख़ुदी की जुस्तुजू करते रहो बे-जुनूँ चलता नहीं है कार-ए-तामीर-ए-हयात होश वालो आगही की जुस्तुजू करते रहो आदमियत के सिवा जिस का कोई मक़्सद न हो उम्र भर उस आदमी की जुस्तुजू करते रहो शर्त-ए-इरफ़ान-ए-ख़ुदा 'अनवर' है ख़ुद अपनी तलाश यूँ तो करने को किसी की जुस्तुजू करते रहो