जावेदाँ है ख़ामोशी बे-कराँ है ख़ामोशी By Ghazal << मिला रहा हूँ तिरा हुस्न क... हमेशा दिल हवस-ए-इंतिक़ाम ... >> जावेदाँ है ख़ामोशी बे-कराँ है ख़ामोशी लफ़्ज़ गर सितारे हैं आसमाँ है ख़ामोशी जिस में लोग रोते हैं जिस में लोग हँसते हैं जिस को सब समझते हैं वो ज़बाँ है ख़ामोशी दो निगाहें कहती हैं दो निगाहें सुनती हैं किस क़दर मोहब्बत पर मेहरबाँ है ख़ामोशी Share on: