झूटी उम्मीद की उँगली को पकड़ना छोड़ो दर्द से बात करो दर्द से लड़ना छोड़ो जो पड़ोसी हैं वो सब अपने मोहल्ले के हैं काम आएँगे ये सब इन से झगड़ना छोड़ो बे-सबब देते हो क्यूँ अपनी ज़ेहानत का सुबूत हीरे मोती को हर इक बात में जड़ना छोड़ो चाँद सूरज की तरह तुम भी हो क़ुदरत का खेल जैसे हो वैसे रहो बनना बिगड़ना छोड़ो ख़्वाब का राज़ फ़क़त रात के सीने में है दिन में ताबीर की तितली को पकड़ना छोड़ो