जी के देखा है मर के देखेंगे ये तमाशा भी कर के देखेंगे रास आता नहीं सिमटना जब सोचते हैं बिखर के देखेंगे अपने जल्वे वो आज़माएँगे हौसले हम नज़र के देखेंगे हम-सफ़र रास्तों में क्या रुकना मंज़िलों से गुज़र के देखेंगे ना-ख़ुदाई कि आज गहराई कश्तियों से उतर के देखेंगे